Chapter 2: नफरत के बीच प्रेम की झलक
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Story |
अध्याय 2: नफरत के बीच प्रेम की झलक
आदिया के जीवन का सफर और भी रोचक बना। उसके अंदर नफरत का गहरा अवसर समय से अधिक जीत रहा था। लेकिन ज़िंदगी अनोखे तरीके से प्रेम की भी किरणें उगल देती है।
आदिया के जीवन में एक अनपेक्षित पल आया, जब उसे उसके मामा, अमर गुप्ता के निधन की खबर मिली। अमर गुप्ता, जिसे आत्महत्या के प्रयासों में डूबे हुए पाया गया था, आदिया के मामा थे। यह समाचार आदिया के दिल को कांप गया और उसे उसके मामा की आत्महत्या के पीछे छुपे रहस्यमय भावनाओं को समझने की कोशिश की।
प्रीति जोशी, सार्वजनिक अभियोजक, न्याय की राह तक़नीकी निपुणता से पकड़ी जा रही थी। उसके कैरियर में कई जीत हो चुकी थीं, लेकिन आदिया के मामले में उसे सफलता हासिल करने की चुनौती थी। आदिया के द्वेष का तार्किक पीछा उसे समझाने के लिए उसको और वक़्त की ज़रूरत थी।
अमर गुप्ता की दुर्भाग्यपूर्ण आत्महत्या के बाद, आदिया उस पर परेशानी का सामना करते हुए खड़ा हो गया। उसके परिवार की यह दुखद घड़ी उसे अपने अंदर छुपी भावनाओं से मुक़ाबला करने के लिए मजबूर कर दिया। नफरत की गहरी समुद्रयात्रा के बीच, उसके दिल में प्रेम और समझदारी की किरणें सीढ़ी की तरह बढ़ती गईं।
प्रताप सिंह, बुद्धिमान और समझदार न्यायाधीश, आदिया के मन की दिलचस्पी को महसूस कर रहे थे। उन्होंने अनगिनत मामलों का सामना किया था और मानव भावनाओं के जटिलता को समझते थे। हर सुनवाई के साथ, उन्होंने आदिया की लड़ाई को देखा, न्याय के ख़िलाफ उसके संघर्ष को देखा। न्यायाधीश सिंह को विश्वास था कि आदिया की कहानी कुछ और है जो उसके आंदर छुपे हुए सब राज और पहलूओं को सामने ला सकती है।
इसी बीच, हेमलता, आदिया की माँ, सभी दुनिया के लिए अपने प्यार से प्रेमी रही। वह जानने की कोशिश कर रही थी कि आदिया के अंदर क्या है, जो उसको इतनी नफरत की भावना देत
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